हरियाणा

दशहरा आज जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

सत्य खबर, पानीपत । 

आज देशभर में दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है. दशहरा के दिन 3 शुभ संयोग बन रहे हैं. इस बार का दशहरा श्रवण नक्षत्र, रवि योग और सर्वा​र्थ सिद्धि योग में पड़ा है. दशहरा के दिन दोपहर में देवी अपराजिता की पूजा करते हैं और शस्त्र पूजा भी की जाती है. इसके साथ ही शमी के पेड़ की भी पूजा करने का विधान है. इस दिन देश के कई हिस्सों में दुर्गा विसर्जन भी किया जाता है. शाम को सूर्यास्त होने के बाद रावण दहन होता है. पंचांग के अनुसार, दशहरा अश्विन शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाता है. भगवान श्रीराम ने जब रावण का वध किया था, उसके बाद से दशहरा का त्योहार मनाया जाने लगा. वहीं दूसरी घटना महिषासुर वध से जुड़ी है, जिसमें मां दुर्गा ने महिषासुर को मारकर धर्म की स्थापना की थी. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं दशहरा पर रावण दहन मुहूर्त, शस्त्र पूजा का समय और दुर्गा विसर्जन के बारे में.

मुहूर्त

अश्विन शुक्ल दशमी तिथि का प्रारंभ: आज, शनिवार, सुबह 10:58 बजे से

अश्विन शुक्ल दशमी तिथि का समापन: कल, रविवार, सुबह 9:08 बजे पर

दशहरा का ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:41 बजे से सुबह 05:31 बजे तक

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दशहरा का अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:44 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक

देवी अपराजिता की पूजा का समय: आज, दोपहर 02:03 बजे से 02:49 बजे के बीच

3 शुभ संयोग 

इस साल के दशहरे पर 3 शुभ संयोग बने हैं. पहला संयोग है कि श्रवण नक्षत्र पड़ा है. जो आज पूरे दिन है. वहीं रवि योग बना है, यह भी पूरे दिन रहेगा. इस योग में सूर्य का प्रभाव अधिक होता है, जिसकी वजह से सभी दोष मिट जाते हैं. इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग आज सुबह 06:20 बजे से बन रहा है, जो कल सुबह 04:27 बजे तक रहेगा. इस योग में आप जो भी शुभ कार्य करेंगे, वह सफल सिद्ध हो सकता है.

शस्त्र पूजा समय

विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजा विजय मुहूर्त में करते हैं. इस साल शस्त्र पूजा का समय दोपहर 02:03 बजे से 02:49 बजे तक है.

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जिन लोगों ने मां दुर्गा की मूर्तियां अपने घरों पर रखी हैं, वे आज दोपहर में 1:17 बजे से 3:35 बजे के बीच उन ​मूर्तियों का विसर्जन कर सकते हैं.

रावण दहन मुहूर्त

आज दशहरा के मेले में रावण का दहन शाम को 5:54 बजे के बाद से किया जा सकता है. इसे समय से ढाई घंटे तक रावण दहन का समय है. दशहरा पर प्रदोष काल में रावण दहन करने का विधान है. प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद से शुरू होता है.

लोक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने जब रावण का वध कर दिया तो उन पर ब्रह्म हत्या का दोष लगा क्योंकि रावण ब्राह्मण था. उसके दादा पुलस्त्य ऋषि ब्रह्माजी के पुत्र थे, उनके बेटे का नाम विश्रवा था. विश्रवा और राक्षस कुल की कैकसी से रावण का जन्म हुआ था.

ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति के लिए भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण ने भगवान शिव की पूजा की. तब भगवान शिव ने नीलकंठ पक्षी के रूप में उनको दर्शन दिए. इस वजह से दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना शुभ माना जाता है.

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